तृतीय नवरात्र (माँ चंद्रघंटा)
तृतीय नवरात्र (माँ चंद्रघंटा) नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना की जाती है। यह दिन शक्ति, साहस और करुणा का प्रतीक है। माँ चंद्रघंटा अपने भक्तों की रक्षा करती हैं, उनके कष्ट हरती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का संचार करती हैं। ऐसा माना जाता है कि जो भी श्रद्धा और विश्वास के साथ माँ की उपासना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। यदि आप माँ चंद्रघंटा की कृपा पाना चाहते हैं, तो विधि-विधान से उनकी पूजा करें और उनकी कथा का श्रवण अवश्य करें। यह कथा हमें न केवल माँ की महिमा का बोध कराती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर पहुँच जाता है, तब माँ शक्ति स्वयं अवतरित होकर धर्म की रक्षा करती हैं। व्रत कथा: माँ चंद्रघंटा का पराक्रम बहुत समय पहले की बात है। धरती से लेकर स्वर्ग तक महिषासुर नामक असुर का आतंक बढ़ता ही जा रहा था। वह बहुत बलशाली था और उसे ब्रह्माजी से वरदान प्राप्त था कि कोई भी देवता या पुरुष उसे नहीं मार सकता। इस अजेयता के कारण वह अहंकारी हो गया और तीनों लोकों पर अपना अधिकार जमाने लगा। महिषासुर ने सबसे पहले धरती पर अपनी दुष्ट स...